आखिर वो क्या कारण थे जिनकी वजह से अधिकांश मुगल शहजादियों की शादी नहीं हो पाती थी?
अगर हम भारत के मध्यकालीन इतिहास पर नजर डालें तो एक दिलचस्प पहलू सामने आता है। वो पहलू है अधिकांश मुगल शहजादी और उनका कुंवारा रह जाना । चाहे वो शाहजहां हो या हुमायूं, अकबर, शाहजहां, जहांगीर, औरंगजेब या अन्य कोई मुगल बादशाहो की शाहजादियो को आजीवन कुवारा रहना पड़ा। अगर शहजादियों को किसी से प्यार भी हुआ तो उनसे कभी शादी नही हो पाई।
बराबरी के रिश्ते तलाशने मे कठिनाई।
अब प्रश्न उठता है कि आखिर क्यों मुगल शहजादी कभी शादी नहीं की जाती थी या उनकी शादी को लेकर इतनी मुश्किल क्यों होती थी? क्या था इसका कारण? ढूंढने पर पता चलता है कि मुगल बादशाह के रुतबे और उनकी बराबरी का रिश्ता हिंदुस्तान में मौजूद नहीं था और अपने बराबरी के रिश्ते को तलाशने के लिए उन्हें ईरान जैसे देशों की तरफ देखना पड़ता था, क्योंकि भौगोलिक रूप से हिंदुस्तान से काफी दूर थे। सिर्फ यही एक कारण नही था इसके अलावा भी और भी कई करण थे जिसके वजह से मुगल शहजादियों को कुवारा रहना पड़ा।
शाहजादियों के प्रमियो की हत्या।
शाहजहाँ के समय में भारत आया फ्रांसीसी यात्री फ्रेंकोइस बर्नियर बताते है कि शाहजहाँ की पुत्री जहांआरा का एक इरानी युवक नजर खां के साथ प्रेम संबंध था। देखने में सुन्दर नजर खां बुद्धिमान और वीर भी था, इसलिए शाहजहाँ के दरबार में उसका दबदबा भी था, लेकिन दूसरी तरफ शाहजहाँ का साला शाइस्ता खां भी जहांआरा को पसंद करता था। जब नजर खां और जहांआरा की प्रेम कहानी के चर्चे आम होने लगे तो इसी बात का फायदा उठाकर शाइस्ता खान 1 दिन भरे दरबार में शाहजहाँ के सामने नजर खां और जहांआरा की शादी का प्रस्ताव रख दिया। इस प्रस्ताव को संदेही बादशाह को अंदर ही अंदर काफी गुस्सा आया और अगले दिन उन्होंने उसी दरबार में नजर खान को अपने हाथों से पान का बीड़ा खाने को दिया। उन दिनों दरबार के दौरान बादशाह के जरिए पान का बीड़ा दिया जाना सम्मानजनक माना जाता था और बादशाह द्वारा पान मिलने से नजर खां काफी खुश हुआ और उसे लग रहा था कि बादशाह ने उसकी ओर जहाँआरा के रिश्ते को कबूल कर लिया है पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था क्योंकि पान खाने के कुछ देर बाद नजर खां इस दुनिया से अलविदा हो चुका था। दरअसल पान में पड़ा जहर अपना असर दिखा चुका था।
सिर्फ जहाँआरा ही नहीं बल्कि ओर भी कई शाहजादियों के साथ भी यही हुआ किसी न किसी तरह उनके प्रामियो की हत्या कर दी जाती थी। और शाहजादियों को भी इसका अंजाम भुगतना पड़ता था उन्हें कलकोठरी मे कैद कर दिया जाता था। और यही कारण था कि शहजादिया भी अब किसी से भी प्रेम संबंध बनाने से डरती थी।
मुगल शहजादियों से शादी करने से किया इंकार।
ऐसा नहीं था हिंदुस्तान मे शाही खानदान की कोई कमी थी उस समय हिंदुस्तान में कई शाही खानदान हुआ करते थे लेकिन कोई भी मुस्लिम लडकी को शादी करके अपने घर नही लाना चाहता था।
हुमायूं ने अपने पुत्र अकबर को यह बताया कि अगर उसे हिंदुस्तान पर राज़ करना है तो राजपूत के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित करने की पहल जरूर करें। सही समय आने पर अकबर ने राजपूत के सामने यह प्रस्ताव रखा कि वह अपनी पुत्रियां का विवाह शाही खानदान में करें और शाही खानदान की बेटियां अपने यहाँ ले। अकबर का यह प्रस्ताव राजपूतो को पसंद नहीं आया क्योंकि उन्हें डर था कि अगर उनके घर में एक मुसलमान औरत ब्याह कर आएगी तो उनका सारा धर्म नष्ट हो जाएगा। तो इस वजह से उन्होंने शाही खानदान की बेटियों को अपने यहाँ ब्याहकर लाने से इनकार कर दिया। लेकिन शाही खानदान में अपनी बेटियों की शादी करने का प्रस्ताव जरूर मंजूर कर लिया।
राज गद्दी खोने का डर।
सबसे बड़ा और अहम कारण यह था की शादी होने पर शहजादियों के शौहर या फिर उनकी संतानें शाही राज गद्दी के लिए खतरा साबित हो सकती थी। जैसा कि हमें देखने को मिलता है कि किस प्रकार अकबर की बहन के शौहर शरीफ उद्दीन ने मुगल गद्दी हासिल करने के लिए अकबर पर जानलेवा हमला किया था।
शाही गद्दी पर मुगल शहजादीओ के शौहर या संतानों के अपने अधिकार प्राप्त करने के डर और राज गद्दी छीन जाने के डर की वजह से अधिकांश मुगल शहजादियों जैसे हुमायूं की बहन को गुलबदन बेगम, अकबर की बेटियां शकर उन निसा बेगम, मेहरूनिसा बेगम, आराम बानो बेगम, शाहजहाँ की बेटियां जहाँआरा, रोशनआरा और औरंगजेब की पुत्री जैबुन्निसा के साथ साथ बादशाह के खास रिश्तेदारों की बेटियों को भी आजीवन कुंवारा रहना पड़ा।
Disclaimer
यह आर्टिकल किसी भी धर्म के व्यक्तियों के मन को ठेस पहुंचाने के उदेश से नही लिखा गया है। यह जानकारी इतिहास की कुछ किताबो व इंटरनेट से ली गई है। ALLALART इसकी पुष्टि नहीं करता।
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