एक नदी जो की उल्टी दिशा में बहती है आखिर क्या है इसके पीछे का कारण, A river that flows in the opposite direction
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प्रकृति में कितनी रोमांचक और हैरान कर देने वाली चीजें मौजूद हैं कि उन्हें देखकर हैरत होती है और साथ ही आनंद की अनुभूति होती है। हम आपको एक ऐसी ही नदी के बारे में बताने जा रहे हैं जो उल्टी दिशा में बहती है।
पूर्व से पश्चिम की ओर उल्टी दिशा मे बहने वाली नदी
भारत की अधिकांश नदियां एक ही दिशा में बहती है। यानी पश्चिम से पूर्व की ओर। लेकिन नर्मदा नदी को लेकर एक अजीबो गरीब तथ्य मौजूद है। नर्मदा नदी (Narmada River) का बहाव हमेशा पूर्व से पश्चिम की ओर होता है। यानि नर्मदा नदी उल्टी बहने वाली नदी है। गंगा सहित अन्य नदियां जहां बंगाल की खाड़ी में गिरती है, वहीं नर्मदा नदी बंगाल की खाड़ी के विपरीत अरब सागर में जाकर विलीन होती है।
नर्मदा नदी की लम्बाई
Narmada River लंबाई की बात करें तो ये 1312 किलोमीटर तक फैली हुई है। पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली नर्मदा मध्य प्रदेश और गुजरात की प्रमुख नदी है। नर्मदा नदी को भी गंगा के समान ही पवित्र व पूज्यनीय माना जाता है
नर्मदा का उदगम
नर्मदा नदी महाकाल पर्वत के अमरकण्टक शिखर से निकलती है और इसके उद्गम स्थल से लेकर इसके संगम स्थल तक 10 करोड़ तीर्थ स्थल है।
नर्मदा नदी का उल्टा बहने का कारण
नर्मदा नदी के उल्टा बहने का भौगोलिक कारण इसका रिफ्ट वैली में होना है, लेकिन पुराणों में इससे जुड़ी कई कहानियां भी बताई गई हैं। नर्मदा की जन्म से जुड़ी एक कहानी प्रचलित है कि भगवान शिव के पसीने से नर्मदा उत्पन्न हुई थी और नर्मदा ने प्रकट होते ही ऐसी चमत्कारिक लीलाएं की जिन्हें देखकर शिव और पार्वती भी चकित हो गए और उसे नर्मदा नाम दिया जिसका अर्थ होता है सुख देने वाली । इस नदी का एक अन्य नाम रेवा भी है।
Namda River के उल्टा बहने से जुड़ी एक और प्रचलित कहानी है। कहा जाता है कि नर्मदा राजा मैकल की पुत्री थी जब नर्मदा शादी के लायक हुई तो राजा मेकल ने घोषणा कर दी कि जो राजकुमार गुलाब कावली फूल लाएगा, वे उससे अपनी पुत्री का विवाह कर देंगे। इस लोक कथा के अनुसार सोनभद्र गुलाब कावली का फूल ले आए जिसके बाद राजा मेकल ने नर्मदा का विवाह सोनभद्र से तय कर दिया।
नर्मदा ने सोनभद्र को कभी देखा नहीं था। लिहाजा उन्हें देखने की इच्छा से नर्मदा ने अपनी दासी जुहिला के हाथों उन्हें एक पत्र भेजा। जोहिला ने जाने से पहले नर्मदा से उनके कपड़े और आभूषण मांगे। वही कपड़े और गहने पहनकर वह सोनभद्र से मिलने चली गई। सोनभद्र ने जोहिला को ही राजकुमारी समझ लिया और उसके सामने प्रेम प्रस्ताव रख दिया। जुहिला की भी नियत डगमगा गई और उसने सोनभद्र का निवेदन स्वीकार कर लिया।
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