Mughal Dark Secrets : मुगल हरम के ऐसे रहस्याओं के बारे में जो शायद ही आपने कभी सुने होंगे जानिए इसके पीछे का काला सच।
इतिहास गवाह है कि भारत पर मुगलों ने काफी लंबे समय तक राज किया। इतिहासकारो ने मुगल शासन काल के बारे में कई किताबें भी लिखी है, जिन लोगों को इतिहास पसंद है। उन्हें मुगल काल के हर बात जानने के लिए ज्यादा उत्सुकता भी रहती है। वह इन मुगल बादशाहों की जीवन से जुड़ी सारी बातें जानना चाहते हैं। ऐसे में पुरानी किताबें का संकलन हमेशा साथ भी रखते हैं। इन किताबों के संकलन में मुगलों के बारे में कुछ ऐसी अनकही बातें और रहस्य बताए गए हैं जो शायद ही आपने कभी सुने होंगे। आज हम आपको बताएंगे कि ऐसी कौन से अनसुने तथ्य हैं जो सभी से छुपाए गए हैं। आज हम आपको मुगलों के स्वादिष्ट खाने के बारे में बताने जा रहे हैं।
हरम प्रथा क्या है?
हरम प्रथा एक धार्मिक प्रथा है जो इस्लामी समाज में प्रचलित है। इसमें महिलाओं और उनके अनुरक्त पुरुषों के लिए एक अलग और प्राइवेट स्थान का निर्माण किया जाता है, जिसे हरम कहा जाता है। हरम एक सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक स्थान होता है जहां शरीर की आत्मा को पवित्र माना जाता है और धार्मिक क्रियाओं जैसे कि ईबादत, ध्यान और प्रार्थना किया जाता है। इस प्रथा में, हरम में प्रवेश करने के लिए विशेष नियम और मान्यताएं होती हैं, जिन्हें पालन करना अनिवार्य होता है।
मुगल हरम में क्या होता था?
मुगल हरम में विभिन्न गतिविधियाँ होती थीं, जैसे कि धार्मिक आयोजन, नृत्य, संगीत, आदि। इसके अलावा, यहाँ पर राजनीतिक मामलों का चर्चा भी होता था और मुगल सम्राट के दरबार में अहम निर्णय लिए जाते थे। इसके अलावा, वहां कई महिलाएं भी रहती थीं जो मुगल सम्राट की पत्नियाँ और अन्य अधिकारी महिलाएं थीं। यहाँ पर अदालत के मामलों का समाधान और लोगों की समस्याओं का समाधान भी होता था।
मुगल हरम की विशेषता क्या थी।
मुगल हरम की विशेषता यह थी कि वह मुगल सम्राटों के प्राइवेट धार्मिक स्थल थे, जहां उनकी पत्नियों, अन्य सदस्यों और विशेष आदमी वर्ग के लोगों को आने जाने की अनुमति थी, परंपरागत रूप से मुगल सम्राटों की महिलाओं की वहां विशेष सम्मान था। ये हरम इस्लामिक सभ्यता में महत्वपूर्ण स्थान रखते थे।
मुगल हरम की जानकारी का स्रोत
पुर्तगाली व्यापारी Manrique ने भी मुगल शासन पर किताब लिखी है। उसने अपनी किताब में जिक्र किया है कि पहले से चली आ रही मुगलों के परंपराओ को शाहजहां ने आगे बढ़ाया। शाहजहां ने अपने पूर्वजों के नक्शे कदम पर चलते हुए Mughal Harem में अपनी बेगम और कई सारी रखेलों को रख रखा था। और वह उन्हीं के साथ खाना भी खाता था। मुगल शासक और उनके संबंधी को खान किन्नर परोसते थे वही खाना बनाने से पहले शाही हकीम यह देखा था कि बादशाह के लिए क्या-क्या खाना बनाया जाएगा।
डच व्यापारी Francisco Pelsarte ने भी अपनी किताब ‘Jahangir's India’ में मुगलों के खाने के बारे में लिखा है। वहीं, मैनरिक की लिखी किताब ‘Travels of Fray Sebastian Manrique’ में भी मुगलों के खान-पान का जिक्र है।
Francisco Pelsarte अपनी किताब में इस बात का भी जिक्र किया है कि मुगलों के शाही व्यंजन पहले से ही तय होते थे और इन व्यंजनो को तैयार करने की पूरी जिम्मेदारी हकीम पर होती थी। हकीम शाही भोज में ऐसी औषधीयो का भी इस्तेमाल करता था जिससे मुगल बादशाह हमेशा स्वस्थ रहें और ताकतवर रहे बादशाह का खाना मौसम और बादशाह के स्वास्थ्य के हिसाब से तय होता था।
मुगल हरम के भोजन की खसियत।
मुगल हरम में भोजन की खासियत उसकी विशालता और विविधता थी। यहां पर अत्यंत समृद्ध और विलक्षण भोजन प्रस्तुत किया जाता था, जिसमें मुगलीय खाना, अफगानी और पर्षियन खाना शामिल था। भोजन के दौरान खास ध्यान रखा जाता था कि खाने का स्वाद, आकर्षकता, और प्रस्तुति कितनी भी उत्तम हो। मुगल रसोई का प्रशिक्षण बड़े प्रदर्शनीय भोजनों और अद्वितीय स्वाद की अपेक्षा किया जाता था। इसमें मुगलीय खाना के बहुत सारे परिप्रेक्ष्य जैसे कि बिरयानी, कबाब, कोरमा, रोगन जोश, आदि शामिल थे।
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