Ashoka Pillar: अशोक स्तंभ भारतीय ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक।

Ashoka Pillar

दोस्तों भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में, अशोक स्तंभ (Ashoka Pillar) भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण धरोहरों में से एक है। यह एक प्रमुख मार्ग चिन्ह भी है, जो भारत के सम्राट अशोक द्वारा 3वीं सदी ईसा पूर्व में निर्मित किया गया था। यह Ashoka Pillar सांचा में गहरी लाल ग्रेनाइट पत्थर से बना हुआ है। इसकी ऊँचाई लगभग 50 फुट है और इसमें पैंथर, हाथी, गजराज, और लक्ष्मी समेत अनेक प्राचीन प्राणियों की चित्रण किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य बौद्ध धर्म के प्रचार और प्रसार को प्रोत्साहित करना था। Ashoka Pillar भारतीय स्थापत्यकला का उत्कृष्ट उदाहरण है और इसकी खोज एवं अध्ययन इतिहास और कला के प्रेमियों के लिए महत्वपूर्ण है।

    अशोक स्तंभ कहां स्थित है?

    अशोक स्तंभ प्रमुख रूप से भारत के साथी, एक शहर, में स्थित है। यह स्थान भारत के मध्य प्रदेश राज्य में है। अशोक स्तंभ के पर्यावरण और ऐतिहासिक महत्व के कारण, यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है।


    अशोक स्तंभ पर क्या लिखा है?

    Ashoka Pillar पर लिखे गए उल्लेखों में प्रमुखतः अशोक के धर्म प्रचार के संदेश होते हैं। इन उल्लेखों में बौद्ध धर्म के महत्व, धर्मिक साधनों की महत्वता, और शांति के संदेश शामिल होते हैं। इन संदेशों को पढ़कर लोगों को धर्म, समर्पण, और सामाजिक न्याय की महत्वाकांक्षा में प्रेरित किया जाता है।


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    Ashoka Pillar  image source - Wikipedia 

    अशोक महान क्यों है?

    अशोक को महान बनाने के कई कारण हैं:

    • उनका धर्मनिरपेक्षता: अशोक ने अपने शासनकाल में सभी धर्मों को समान रूप से सम्मान दिया और धर्मनिरपेक्षता की भावना को प्रोत्साहित किया।


    • शांति और सामर्थ्य: अशोक ने अपने शासनकाल में साम्राज्य को शांति और सामर्थ्य के स्तर पर ले जाने के लिए कई कदम उठाए।


    • धर्म प्रचार: अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार और प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे धर्म की अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच हो सके।


    • समाज कल्याण: अशोक ने विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों की कल्याण की दिशा में प्रयास किया।


    • संवेदनशीलता: उनकी व्यक्तित्व में संवेदनशीलता, दया, और न्याय के गुण थे, जिनका वे अपने राज्य के लोगों के प्रति प्रदर्शन करते थे।

    इन कारणों के संयोग से, अशोक को भारतीय इतिहास में एक महान शासक के रूप में याद किया जाता है।


    अशोक कौन सी भाषा बोलते थे?

    अशोक ने प्राचीन भारतीय भाषा प्राकृत और संस्कृत में बोलते थे। प्राकृत भाषा उनके अधिकांश जनता के साथ संचार के लिए प्रचलित थी, जबकि संस्कृत भाषा विशेष रूप से धार्मिक और शास्त्रीय विचार को संवेदनशील करने के लिए प्रयुक्त की जाती थी।

    अशोक का स्तंभ किसका प्रतीक था?

    अशोक का स्तंभ उनके धर्म, शांति, और सामाजिक साधनों के प्रचार का प्रतीक था। यह स्तंभ उनके धर्म परिवर्तन की घोषणा, धर्मिक तथा सामाजिक मूल्यों के प्रशंसा, और उनके सत्ताधिकार के संदेश का प्रसार करता था। इसका मुख्य उद्देश्य था मानव समूह के उत्थान और समृद्धि को संवेदनशील करना।

    Ashoka
    Ashoka image source - Indian Forum 

    अशोक ने कब तक शासन किया?

    अशोक ने लगभग 268 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व तक शासन किया। इसका अर्थ है कि उन्होंने लगभग 36 वर्षों तक शासन किया।


    अशोक का नाम किसके नाम पर रखा गया था?

    अशोक का नाम उनके बौद्ध महान दाता अशोक के नाम पर रखा गया था। उनका बौद्ध धर्म में महत्वपूर्ण भूमिका थी और उन्होंने भारतीय इतिहास के इस प्रमुख चरित्र को सम्मान देने के लिए अपना नाम अशोक रखा।


    अशोक के बाद अगला राजा कौन है?

    अशोक के बाद, उसके पुत्र महेन्द्र और उनके पोते दशरथ के बाद सम्राट सुन्दरन नाम का एक राजा था। वे मौर्य वंश के अंतिम राजा थे और उनके बाद भारतीय इतिहास में अनेक राजाओं का शासन आया।

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    Ashoka Pillar  image source - Wikipedia 

    अशोक का स्तंभ किसका प्रतीक था?

    अशोक का स्तंभ उनके धर्म, शांति, और सामाजिक साधनों के प्रचार का प्रतीक था। इस स्तंभ का मुख्य उद्देश्य था मानव समूह के उत्थान और समृद्धि को संवेदनशील करना। इसमें अनेक प्राचीन प्राणियों की चित्रण किया गया था, जो अशोक के धर्मिक और सामाजिक संदेशों को प्रकट करते थे।


    अशोक साम्राज्य को किसने हराया था?

    अशोक साम्राज्य को उसके पोते ब्राह्मण वंशीय शासक ब्रिहद्रथ के द्वारा हराया गया था। ब्राह्मण वंशीय शासक ब्रिहद्रथ ने लगभग 185 ईसा पूर्व में मौर्य वंश को अंत किया और मौर्य साम्राज्य का अंत हो गया।

    अशोक राजा कैसे बना?

    अशोक को मौर्य साम्राज्य का राजा बनाया गया था जब उनके पिता चंद्रगुप्त मौर्य, जिन्होंने पूर्व भारत के अधिकांश हिस्सों को जीत लिया था, ने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र (आज का पटना) में सत्ता छोड़ दी। अशोक चंद्रगुप्त मौर्य के पुत्र थे और उन्हें चंद्रगुप्त के बाद राज्य की सिंहासन परिवार के विरासत के रूप में स्वीकार किया गया। उन्होंने अपने पिता के शासन का विस्तार किया और अपनी प्रभाव को बढ़ाया।


    अशोक महान कितना धनी था?

    अशोक की सम्पत्ति के बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है, क्योंकि तत्कालीन इतिहास ऐसे विवरणों को संदर्भित नहीं करता है। हालांकि, वह भारतीय इतिहास के महान शासकों में से एक थे और उन्हें बड़ी सम्पत्ति और सामाजिक स्थान का लाभ मिला हो सकता है। उनकी सामर्थ्य, नैतिकता और धार्मिक ध्यान ने उन्हें अद्वितीय बना दिया है, और उन्हें भारतीय इतिहास में एक महान और प्रेरणादायक चरित्र के रूप में याद किया जाता है।

    निष्कर्ष: Ashoka Pillar भारतीय समाज के एक अमूल्य धरोहर के रूप में अपनी अद्वितीय महत्ता को संजोकर रखता है। यह एक ऐतिहासिक स्मारक है जो हमें हमारे विरासत की महत्वपूर्ण विवेक के प्रति जागरूक करता है और हमें हमारे भारतीय धरोहर की महत्ता को समझने के लिए प्रेरित करता है।

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