Ganesh ji ki Aarti: गणेशजी की आरती, Ganesh Aarti Lyrics in Hindi

Ganesh Aarti: हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती है। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम को करने से पहले भगवान श्री गणेश जी की पूजा करनी बेहद जरूरी होती है।

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    Ganesh ji ki aarti: हिंदू धर्म की यह मान्यताएं हैं कि किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान श्री गणेश जी सभी देवी देवताओं में पूजनीय माने जाते है। शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री गणेश की पूजा करने से सभी बाधाएं हमेशा के लिए दूर हो जाती हैं। श्री गणेश को एकदंत के नाम से भी पुकारा जाता है। वहीं उनको व‍िघ्‍नहर्ता का नाम भी दिया गया है। ऐसी मान्यता है, कि भगवान श्री गणेश की पूजा यदि ना की जाए, तो कोई भी कार्य सफल नहीं हो पाता है। धर्म के अनुसार यह मान्यताएं हैं कि भगवान श्री गणेश को कार्यों को सफल बनाने वाला देवता माना जाता है। यहां आप भगवान Ganesh ji ki aarti lyrics के साथ पढ़ सकते है।



    Ganesh Aarti Lyrics,भगवान श्री गणेश जी की आरती

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    Ganesh Aarti Lyrics in Hindi 

    जय गणेश जय गणेश,

    जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती

    पिता महादेवा ॥


    एक दंत दयावंत,

    चार भुजा धारी ।

    माथे सिंदूर सोहे

    मूसे की सवारी ॥


    जय गणेश जय गणेश,

    जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती

    पिता महादेवा ॥



    पान चढ़े फल चढ़े,

    और चढ़े मेवा ।

    लड्डुअन का भोग लगे

    संत करें सेवा ॥


    जय गणेश जय गणेश,

    जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती

    पिता महादेवा ॥


    अंधन को आंख देत,

    कोढ़िन को काया ।

    बांझन को पुत्र देत

    निर्धन को माया ॥

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    जय गणेश जय गणेश,

    जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती

    पिता महादेवा ॥


    'सूर' श्याम शरण आए,

    सफल कीजे सेवा ।

    माता जाकी पार्वती

    पिता महादेवा ॥


    जय गणेश जय गणेश,

    जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती

    पिता महादेवा ॥



    दीनन की लाज रखो,

    शंभु सुतकारी ।

    कामना को पूर्ण करो

    जाऊं बलिहारी ॥


    जय गणेश जय गणेश,

    जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती

    पिता महादेवा ॥


    GANESH JI KI AARTI – गणेश जी की आरती विधि।

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    आरती शुरू करने से पहले 3 बार शंख बजाएं। शंख को धीमे स्वर से उच्च स्वर की ओर बजाएं ।

    इसके बाद ही आरती आरम्भ करें।

    आरती करते समय एक लय में घण्टी बजाएं और लय का ध्यान रखते हुए आरती गाएं।

    आरती गाते समय शब्दों का शुद्ध उच्चारण ही करें।

    आरती के लिए रूई से बनी घी की बत्ती का ही प्रयोग करें ।

    घी या बत्ती उपलब्ध न हो तो कपूर से भी आरती कर सकते है।

    बत्तियाें की संख्या 1, 2, 3, 11 या 21 रखनी चाहिए।

    आरती पूरी होने पर जयकारा लगते हुए गणेश जी से मंगलकामना करें।



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